डेंगू बुखार: जानिए डेंगू के लक्षण, कारण, निदान और बचाव के आसान तरीके।

Dengue ke Lakshan, Karan or Upchar


डेंगू बुखार एक वायरल बीमारी है जो मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से फैलती है। इसेक कारण हड्डियों में दर्द होता है इसलिए इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहते है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार हर वर्ष लगभग 5 लाख  से अधिक लोगो को डेंगू के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा डेंगू के मामले उष्णकटिबंधीय


क्षेत्रों से सामने आते हैं, जिसमे भारतीय उपमहाद्वीप सहित, दक्षिण-पूर्व एशिया, मेक्सिको, अफ्रीका, मध्य और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में बड़ी आबादी डेंगू से प्रभावित होती है। डेंगू बुखार में मरीज को अनेको प्रकार की परेशानियो का सामना करना पड़ता है। जो समय पर इलाज न करने पर जानलेवा हो सकता है। इस लेख में हम डेंगू बुखार के लक्षण, इसके कारण, बचाव और उपचार के बारे में चर्चा करेंगे।

 


डेंगू बुखार के लक्षण: Symptoms of Dengue Fever

डेंगू बुखार के लक्षण आमतौर पर संक्रमित मच्छर के द्वारा काटे जाने के 5-7 दिनों के भीतर दिखाई देते हैं। और अगले 5-7 दिनों तक बने रह सकते है। डेंगू बुखार के लक्षण फ्लू जैसे ही होते हैं, और ये हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। डेंगू बुखार के कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार है:


  • तेज़ बुखार आना (102० -104 ० तक )
  • भयंकर सर- दर्द होना 
  • जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द और अकड़न 
  • त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ना 
  • मतली और उल्टी होना 
  • शारीरिक थकान महसूस होना 
  • लसीका ग्रंथियों में सूजन होना 
  • जी मिचलाना और घबराहट होना 
  • आंखों के पीछे दर्द होना 
  • शारीरक कमजोरी महसूस होना 
  • भूख कम लागना 
  • पेशाब में जलन होना 
  • प्लेटलेट्स का निरन्तर कम होना 
  • ब्लड प्रेशर कम होना 
  • रक्त स्त्राव होना (गंभीर अवस्था में )


यदि समय पर उपचार न किया जाए तो डेंगू बुखार डेंगू रक्तस्रावी बुखार (DHF) और डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS) जैसी गंभीर जटिलताओं को जन्म दे सकता है। ये जटिलताएं जानलेवा हो सकती हैं और इसमें तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है।




डेंगू बुखार क्या है: What is Dengue fever

वास्तव में डेंगू बुखार एक वायरल बुखार (Viral Fever) है जो डेंगू नामक वायरस के कारण से फैलता है यह संक्रमित मादा एडीज इजिप्ट मच्छरो के काटने से फैलने वाला एक रोग है। यह संक्रमण फ्लेविविरिडे परिवार (Flaviviridae family) के एक वायरस के सेरोटाइप- डीईएनवी-1 (DENV-1), डीईएनवी-2 (DENV-2), डीईएनवी-3 (DENV-3) और डीईएनवी-4 (DENV-4) के कारण होता है। हालांकि, ये वायरस 10 दिनों से अधिक समय तक जीवित नहीं रहता हैं। फिर भी डेंगू होने पर लापरवाही करना जानलेवा हो सकती है और समय पर उपचार ही सबसे अच्छा रहता है। 



 सामान्य रूप से डेंगू बुखार को तीन श्रेणियों में बांटा गया है जो इस प्रकार से है :-



1.  साधारण डेंगू बुखार (Classic Dengue Fever)

इस प्रकार के डेंगू में बुखार तक़रीबन 5 - 7 दिनों तक रह सकता है उसके बाद मरीज धीरे -धीरे स्वतः ही ठीक हो जाता है। इस प्रकार के डेंगू बुखार को क्लासिक डेंगू बुखार (Classic Dengue Fever) कहते है। 



साधारण डेंगू बुखार (Classic Dengue Fever) में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते है:- 



  • ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार होना।
  • सिर सहित मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना।
  • आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना जो आंखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ जाता है।
  • बहुत कमजोरी महसूस होना, भूख ना लगना, जी मिचलाना और मुंह का स्वाद कड़वा होना।
  • गले में खराश व हल्का दर्द होना। 
  • शरीर पर खासकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के चक्कते होना आदि लक्षण दिख 
          सकते है। 




2. डेंगू रक्तस्रावी बुखार (D.H.F.): Dengue Hemorrhagic Fever

डेंगू रक्तस्त्रावी बुखार डेंगू का अगला चरण है। डेंगू के इस प्रकार में अगर साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ-साथ निचे दिए गए लक्षण भी दिखाई दें तो इसे डीएचएफ (D.H.F.) Dengue Hemorrhagic Fever  कहते है। डेंगू रक्तस्रावी बुखार (D.H.F.) खतरनाक हो सकता है। ब्लड टेस्ट द्वारा इसका आसानी से पता लगाया जा सकता है।

 

डेंगू हॅमरेजिक बुखार (D.H.F.): Dengue Hemorrhagic Fever में साधारण डेंगू बुखार के साथ-साथ ये लक्षण भी हो सकते है :-

  • नाक और मसूढ़ों से खून आना।
  • शौच या उल्टी में खून आना।  
  • स्किन पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बड़े निशान पड़ जाना।



3. डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS): (Dengue Shock Syndrome )

यह डेंगू का तीसरा चरण है इस प्रकार के डेंगू में DHF के लक्षणों के साथ-साथ कुछ अन्य लक्षण भी दिखाई देते हैं। जैसे:-


  • मरीज को बेचैनी महसूस होना।
  • बुखार तेज होने के बावजूद भी उसकी त्वचा का ठंडा होना।
  • मरीज को बेहोशी के दौरे पड़ना ।
  • मरीज की नब्ज कभी तेज तो कभी धीरे चलने लगती है। 
  • उसका ब्लड प्रेशर एक दम कम हो जाना।

इन तीनों प्रकार में से डेंगू हॅमरेजिक बुखार (DHF) और डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS) सबसे ज्यादा खतरनाक होते है। साधारण डेंगू बुखार 5 से 7 दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है और इससे जान को खतरा नहीं होता लेकिन अगर किसी व्यक्ति में DHF या DSS के लक्षण नजर आते है तो उसका फौरन इलाज शुरु किया जाना बहुत जरुरी है। इस अवस्था में तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। 
 




डेंगू के कारण: Causes of Dengue Fever

डेंगू बुखार एक वायरस जनित रोग है जो डेंगू वायरस के कारण होता है, यह संक्रमित एडीज एजिप्टी मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलता है। एडीज एजिप्टी मच्छर साफ पानी में अपने अंण्डे देते है। ये मच्छर दिन के समय सबसे अधिक सक्रिय होते हैं, खासकर सुबह और शाम के समय। 


इन मच्छरों को आसानी से पहचाना जा सकता है, इन मच्छरों पर ज़ेबरा क्रॉसिंग की तरह सफ़ेद धारियां बनी होती है। डेंगू बुखार संक्रामक नहीं है, अर्थात यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। 


यह वायरस फ्लेविविरिडे परिवार (Flaviviridae family) के एक वायरस के सेरोटाइप- डीईएनवी-1 (DENV-1), डीईएनवी-2 (DENV-2), डीईएनवी-3 (DENV-3) और डीईएनवी-4 (DENV-4) के कारण होता है। हालांकि यह  वायरस 10 दिनों से अधिक समय तक जीवित नहीं रहता हैं।




डेंगू की रोकथाम के उपाय: Prevention of Dengue Fever

डेंगू वायरस से बचने के लिए इससे बचाव ही सबसे अच्छा और उत्तम उपाय है। डेंगू बुखार संक्रमित एडीज मच्छरों के काटने से फैलता है इसलिए इन मच्छरों को पनपने से रोकना बहुत जरुरी है इसके लिए यहां कुछ उपाय दिए गए हैं:



  • मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए अपने आस-पास साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखे।
  • खली पड़े बर्तनो, टायरों, टिन के डिब्बों, कूलर, और खाली गड्डो में पानी जमा ना होने दे। 
  • मच्छरों के काटने से खुद को बचाने के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
  • आप अपनी त्वचा पर नारियल तेल लगा सकते है जिससे मच्छर ना काट सके । 
  • तालाब या खुले पड़े पानी में गैबूसिया लेबिस्टर नामक छोटी मछलियाँ डाल सकते है जो मच्छरों के लार्वा को खा कर नष्ट करती है।  
  • अपनी त्वचा को ढकने के लिए लंबी बाजू के कपड़े पहनें।
  • अपने आस-पास मच्छरों को मारने के लिए कीटनाशक का प्रयोग करें।
  • मच्छरों के चरम गतिविधि के समय, यानी सुबह जल्दी और देर शाम को बाहर जाने से बचें।




डेंगू टेस्ट रिपोर्ट: Medical Test for Dengue Fiver

डेंगू की पुस्टि करने लिए और लक्षणों के आधार पर उपचार शुरू करने के लिए सामान्य रूप से डेंगू पीड़ित मरीज के निम्नलिखित मेडिकल डेंगू टेस्ट रिपोर्ट करवाये जा सकते है:



  • Dengue NS1 Antigen Test (पहला लक्षण दिखने के 7 दिनों के भीतर यह टेस्ट करवाया जाता है इसके
           बाद यह टेस्ट रेकमेंड नहीं किया जाता है )
  • Dengue IgM Antibody Test (पहला लक्षण दिखने के 7 दिन बाद यह टेस्ट पॉज़िटिव आने लगता है। )
  • CBC (Complete Blood Count) 
  • Hematocrit Test
  • LFT Test या (SGOT - SGPT Test)



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डॉक्टर्स द्वारा समय-समय पर रोग की गंभीरता और मरीज की हालत को देखते हुए कुछ अन्य टेस्ट भी करवाए जा सकते है। 

 

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डेंगू का इलाज: Dengue Treatment

जैसा की ऊपर बताया गया है की डेंगू बुखार एक वायरस जनित रोग है जो संक्रमित एडीज मच्छरों के काटने होता है। मानव शरीर में इस वायरस का असर 7 से 10 दिनों तक रह सकता है। उसके बाद यह डेंगू वायरस स्वतः ही मर जाता है। 90% से 95% लोगो को ज्यादा परेशानी नहीं होती है और साधारण दवाओं से कुछ ही दिनों में स्वस्थ हो जाते है। 5% से 10% लोगो में ही डेंगू के गंभीर मामले देखने को मिलते है। 



हालाँकि मेडिकल लाइन में डेंगू वायरस के लिए कोई विशेष दवा उपलब्ध नहीं है। केवल मरीज के लक्षणों के आधार पर ही डेंगू का इलाज किया जाता है। समय पर उपचार रोग की गंभीरता को कम करने में मदद कर सकता है। सामान्य रूप से डेंगू बुखार होने पर उपचार के रूप में निम्नलिखित दवाये दी जा सकती है:



डेंगू बुखार की दवाएं :

Paracetamol Tablet 500mg: पेरासिटामोल टेबलेट 500 mg

बुखार व दर्द निवारक के रूप में पेरासिटामोल टेबलेट 500 mg या 650 mg दिन में 3 बार के हिसाब से दी जा सकती है जो बुखार को कम करने और दर्द से राहत दिलाने में मदद करती है। एलोपैथी में डेंगू मरीज की सबसे पहले बुखार को कम करने पर जोर दिया जाता है, जिससे पीड़ित, मरीज को कुछ रहत मिल सके।


Pantoprazole & Domperidone Capsules: 

डेंगू से पीड़ित व्यक्ति में घबराहट और बेचैनी को कम करने के लिए Pantoprazole & Domperidone Capsules दिए जा सकते है। 


ORS :

डेंगू बुखार में Dehydration की समस्या से बचने के लिए ORS दिया जाता है, इसके अलावा खट्टे फलों जैसे संतरा, मोसम्बी, नारियल पानी आदि का ताजा जूस भी दिया जा सकता है। 


अस्पताल में भर्ती: 

डेंगू बुखार के गंभीर मामलों जिसमे डीएचएफ (DHF) और डीएसएस (DSS) जैसी गंभीर अवस्था के प्रबंधन के लिए मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है। जिसमे रोग की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टर्स उसका इलाज करते है। 




डेंगू का घरेलू इलाज: Home Remedies for Dengue

डेंगू के घरेलु इलाज के रूप में कई प्रकार के उपाय किये जा सकते है जो की डेंगू को समाप्त करने में कारगर साबित होते है। घरेलु इलाज के तोर पर निम्नलिखित उपाय किये जा सकते है:


डेंगू वायरस का सबसे ज्यादा असर व्यक्ति के इम्मूयन सिस्टम पर पड़ता है, जिससे प्रतिरोधक क्षमता कमजोर जो जाती है, डेंगू वायरस सफ़ेद रक्त कोशिका (WBC) पर हमला कर उन्हें नष्ट करता है, दूसरा प्लेटलेट्स (Platelets) को नष्ट करता है, जो रक्त के बहाव को नियंत्रित करती है, एक स्वस्थ व्यक्ति में सफ़ेद रक्त कोशिकाएं (WBC) 4000 से 10,000 प्रति माइक्रोलीटर के बीच होना चाहिए। तथा एक सामान्य व्यक्ति का प्लेटलेट काउंट 150,000 लाख से 450,000 प्रति माइक्रोलीटर होना चाहिए। 


डेंगू वायरस के घरेलु इलाज करते समय इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिए की डेंगू पीड़ित व्यक्ति की सफ़ेद रक्त कोशिकाएं और प्लेटलेट्स कम ना हो। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किये जा सकते है 



1.    पपीते के पत्तो का रस: डेंगू में प्लेटलेट्स बहुत तेजी से घटती है, इसे नियंतिरित बनाए रखने के लिए पपीते के पत्तो का रस बहुत कारगर साबित होता है, पपीते के पत्तों में एंजाइम फाइटोकेमिकल्स और विटामिन जैसे पपेन, काइमोपैन, फ्लेवोनोइड्स, अल्कलॉइड्स, टैनिन, फेनोलिक एसिड, विटामिन A, विटामिन C और विटामिन-E होते हैं जो हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत और प्लेटलेट्स को तेजी से बढ़ाने में मदद करते है। पपीता के पत्तो का रस प्लेटलेट्स को 15 गुना तेजी के साथ बढ़ता है। 


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कैसे तैयार करे
: पपीते के पत्तो का रस निकलने के लिए पपीते के 1 या 2 ताजा पत्तो को साफ पानी से धो कर कूट- पीस कर इसका रस निकल ले इसमें पतला करने के लिए इसमें थोड़ा पानी मिलाना चाहे तो मिला सकते है। 


खुराक: पपीते के पत्तों का रस की मात्रा 100ml या आधा कप के हिसाब से सुबह तथा शाम को दिया जा सकता है। 


2.    गिलोय का काढ़ा: गिलोय जिसे गुडुची या अमृता भी कहा जाता है। गिलोय के रस में एंटी वायरल और ऐंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होती है जो हमारे प्रितिरोधक क्षमता (Immune System) को मजबूत करती है। यह डेंगू वायरस से बचने में हमारी बहुत मदद करती है। 

    

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कैसे तैयार करे: गिलोय का काढ़ा बनाने के लिए गिलोय का 4 से 5 इंच लम्बा टुकड़ा लेकर इसे कूट ले। एक बर्तन में एक गिलास पानी ले और ये कूटा हुआ गिलोय का टुकड़ा डालकर 5 से 10 मिनट तक पका ले। तैयार है गिलोय का काढ़ा। गिलोय का काढ़ा टेस्ट में थोड़ा कड़वा होता है इसके लिए इसमें थोड़ा सा शहद मिला कर ले सकते है


खुराक: गिलोय के काढ़ा की मात्रा एक गिलास के हिसाब से सुबह तथा शाम को दिया जा सकता है।



3.    गिलोय घनवटी: यदि गिलोय उपलब्ध ना हो तो आप गिलोय घनवटी का उपयोग कर सकते है इसकी 2-2 गोली सुबह-शाम ली जा सकती है। 



4.    गेहू के ज्वारे का रस: डेंगू बुखार में गेहू के ज्वारे का रस भी बहुत लाभदाययक होता है। गेहू के ज्वारे में इम्मूयन सिस्टम को मजबूत करने की बेहद शक्तिशाली प्रॉपर्टीज होती है। जो डेंगू, चिकनगुनिया जैसे वायरस से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।  



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कैसे तैयार करे: गेहू के ज्वारे का रस तैयार करना बहुत ही आसान है इसके लिए एक से दो मुठी गेहू के ज्वारे ले-ले इसे अच्छी तरह से धो कर इमामदस्ते में कूट लें। तैयार है गेहू के ज्वारे का रस। स्वाद के लिए इसमें सेंधा नमक मिला सकते है।    


खुराक: गेहू के ज्वारे का रस आधा गिलास सुबह शाम दिया जा सकते है। बच्चो को इसकी आधी मात्रा ही दे। 



5.    बकरी का दूध: बकरी का दूध डेंगू में बहुत लाभदायक होता है। बकरी का दूध पचने में हल्का और पौस्टिक होने के साथ -साथ विभिन्न औषधीय गुणों से भरपूर  होता है। जो डेंगू जैसे वायरस से लड़ने में हमारी मदद करता है।


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6.    अनार फल : अनार का रस भी डेंगू के मरीज को दिया जा सकता है इसमें विटामिन्स सी, आयरन, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी इन्फ्ल्मेट्री, गुण पाए जाते है जो फ्री रेडिकल्स से शरीर को बचाने में मदद करते है। विटामिन सी और अन्य एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण ये हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत करने, वायरल संक्रमणों से लड़ने और बीमारियों से बचाने में मदद करता हैं। 


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7.    कीवी फल: कीवी फल भी डेंगू में बहुत लाभदायक होता है। इसमें कई प्रकार के विटामिस और मिनरल्स पाए जाते है जो शरीरी की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते है। WBC और प्लेटलेट्स को बढ़ने में कीवी फल बहुत कारगर होता है। 


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8.    नारियल पानी: नारियल पानी भी डेंगू मरीज के लिए बहुत लाभदायक होता है। नारियल पानी में भरपूर मात्रा में इलेक्ट्रोलिट्स और मिनरल्स पाए जाते है जो शरीर को निर्जलीकरण यानि (Dehydration) से बचने में मदद करते है। 


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डेंगू में ध्यान देने योग्य बातें:

  • डेंगू से पीड़ित व्यक्ति में पाचन क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे मरीज में भूख कम लगती है इसलिए मरीज को तरल और हल्का सुपाच्य भोजन ही लेना चाहिए। 
  • डेंगू से पीड़ित मरीज को चिकनाई युक्त या तला- भुना भोजन नहीं देना चाहिए। 
  • डेंगू मरीज को डॉक्टर से परामर्श किये बिना दर्द की गोली या IV इंजेक्शन नहीं देने चाहिए क्योकि ये प्लेटलेट्स को कम कर सकते है। जो मरीज के लिए खतरनाक सिद्ध हो सकता है।
  • डेंगू से पीड़ित मरीज को भरपूर विश्राम करना चाहिए और ORS या तजा खट्टे फलो (मोसमी, संतरा, किन्नू आदि ) का रस ले सकते है।  
  • डेंगू पीड़ित मरीज को नियमित स्वस्थ्य जाँच करवाते रहना चाहिए। जिससे वास्तिविक स्थिति की जानकारी हो सके।

  



निष्कर्ष

डेंगू बुखार एक गंभीर वायरल बीमारी है जिसका समय पर इलाज न होने पर जान को खतरा हो सकता है। डेंगू बुखार को रोकने का सबसे अच्छा तरीका निवारक उपाय करना है, जैसे कि अपने आस-पास को साफ और सूखा रखना, मच्छर भगाने वाले स्प्रे और मच्छरदानी का प्रयोग करना, सुरक्षात्मक कपड़े पहनना और मच्छरों के  समय में स्वयं को बचाना। रोग की प्रारंभिक अवस्था में पहचान और समय पर उपचार रोग की गंभीरता को कम करने और जटिलताओं को रोकने में मदद कर सकता है। यदि आप डेंगू बुखार के किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें।



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